दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ मुन्ना भाई स्टाइल से अध्यापक पात्रता परीक्षा पास कर और उसके बाद शिक्षक नियुक्ति होने वालों के लिए मुसिबत खड़ी होने वाली है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया है कि पिछले साल नियुक्त सभी नौ हजार जेबीटी शिक्षक के अध्यापक पात्रता परीक्षा प्रमाण पत्र की जांच होगी जैसे की हाईकोर्ट प्रवीण कुमारी के केस में निर्देश दे चुका है। इसी के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस मामले में नियुक्ति पाए सभी नौ हजार जेबीटी शिक्षकों को चार सप्ताह के भीतर प्रतिवादी बनाने के लिए समाचार पत्र के माध्यम से नोटिस दे। मामले की सुनवाई के दौरान इस मामले में चल रही जांच पर कोर्ट ने असंतोष जताया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील जसबीर मोर ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने पिछले साल इन सभी चयनित शिक्षक के प्रमाण पत्र की जांच के शिक्षा विभाग को निर्देश दिए थे। इस बाबत शिक्षा निदेशक ने उन्हें सूचित भी किया विभाग ने सभी चयनित शिक्षकों के स्टेट फार्म से हस्ताक्षर व फोटो एकत्र कर लिए हैं और उनका मिलान भिवानी के पंचायत भवन में उनकी ओएमआर सीट से किया जाएगा लेकिन आठ महीने के बाद भी केवल 48 शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच की गई है। अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कोर्ट रूम में मौजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी को फटकार लगाई। जिस पर सरकार ने कोर्ट से इस पूरे मामले की जांच के लिए दो महीने का समय देने की मांग की। जिस पर कोर्ट ने तीन महीने का समय देते हुए 30 जुलाई तक जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया। इसी के साथ कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अगर यह जांच पूरी नहीं हुई तो जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कोर्ट अवमानना के तहत कार्यवाही होगी। इस मामले में याचिकाकर्ता ने पिछले साल चयनित लगभग नौ हजार जेबीटी शिक्षकों की नियुक्ति को रद करने की मांग की है क्यों की इस भर्ती में स्टेट के लिए फार्म और उत्तर पुस्तिका के अगूंठे के निशान को जांचने के नियम का पालन नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता के अनुसार शिक्षा बोर्ड ने राज्यस्तरीय अध्यापक पात्रता परीक्षा (स्टेट) का आयोजन किया था। इस परीक्षा के लिए जारी विवरणिका (प्रोस्पेक्टस) में साफ लिखा था कि परीक्षा की उत्तरपुस्तिका पर अंगूठे के निशान व फार्म पर किए अंगूठे के निशान का मिलान कर ही प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे, ताकि परीक्षा में धोखाधड़ी न हो। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि बोर्ड ने अंगूठे के निशान मिलाए बगैर ही पात्रता परीक्षा के प्रमाणपत्र बांट दिए। उसने आरोप लगाया कि परीक्षा में कई छात्रों ने अपनी जगह दूसरे को बिठाकर परीक्षा पास कर ली। याचिकाकर्ता की दलील को हाईकोर्ट ने रिकार्ड में रखते हुए कहा था कि कोर्ट इस मामले की जांच करवाने को तैयार है और फर्जी तरीके से परीक्षा पास करने वालों छात्रों की नियुक्ति भी कोर्ट रद कर सकता है बशर्ते याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप सही हो। कोर्ट ने तुरंत डीसी भिवानी को कोर्ट के आदेश की प्रति फैक्स कर इस परीक्षा से जुड़ा पुरा रिकार्ड सील करने व हाईकोर्ट को भेजने का आदेश दिया था। बाद में कोर्ट ने शिक्षा विभाग व डीसी को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे।
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